स्वस्थ सम्बन्धित प्राचीन दोहावली

स्वास्थ्य  सम्बन्धित प्राचीन दोहावली 

ऊर्जा मिलती है बहुत , पियें गुनगुना नीर | 
कब्ज खतम हो पेट की , मिट जाएँ हर पीर || 

प्रातः काल पानी पियें , घूंट -घूंट  कर आप | 
बस दो तीन गिलास है , हर्र औषधि का बाप || 

ठंडा पानी पियों मत , करता क्रूर प्रहार | 
करे हाजमे का सदा , ये तो बंटादार  || 

पानी में गुड़  डालिये , बिट जाये जब रात | 
सुबह छानकर पीजिए , अच्छे हों हालात || 

धनिया की पत्ती मसल , बून्द नैन में डार | 
दुखती अँखियाँ ठीक हों , पल लागे दो चार || 

फल या मीठा खाइके , तुरत न पीजै नीर |
ये सब छोटी आंत में , बनते विषधर तीर ||

भोजन करके खाइये , सौंफ गुड़ अजवायन |
पत्थर भी पच जायेगा , जाने सकल जहान ||

भोजन करके रात में, घूमें कदम हज़ार | 

डॉक्टर , ओझा , वैद्य का, लूट जाये व्यापार || 

देर रात तक जागना , रोगों का जंजाल | 

अपच , आँख के रोग संग , तन भी रहे निढाल || 

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